Best Inspirational Stories In Hindi
यह कहानी उन पढ़े लिखे बच्चो और उनके माता पिता को समर्पित है की कैसे जब माँ-बाप बच्चो (लड़के) को पढ़ा लिखा कर आगे बड़ा देते है, और आपना कर्तव्य आपने बच्चों के प्रति पूरा करते है
लेकिन जब लड़के की बारी आती है कर्तव्य निभाने की तो बाप को बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है, किन्तु कुछ समय बाद जब लड़के को समझ में आ जाता है तो सब कुछ अच्छा हो जाता है, और पूरा परिवार ख़ुशी-ख़ुशी रहता है
इसलिये यह कहानी Inspirational Stories In Hindi आपको एक बार जरुर पढनी चाहिये
एक वृद्ध व्यक्ति अपने बहु – बेटे के यहाँ शहर रहने गया। उम्र के इस पड़ाव पर वह अत्यंत कमजोर हो चूका था , उसके हाथ कांपते थे और दिखाई भी कम देता था ।
वो लोग एक छोटे से घर में रहते थे , बुजुर्ग सहित पूरा परिवार और उसके बेटे का चार वर्षीया पोता एक ही डिनर टेबल पर साथ में खाना खाते थे ।
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लेकिन वृद्ध होने के कारन उस व्यक्ति को खाना खाने में बड़ी परेशानी होती थी।
कभी कभी तो मटर के दाने उसकी हाथ कांपने के कारण चम्मच से निकल कर फर्श पे बिखर जाते तो कभी हाथ से दूध छलक कर मेज पोश पर गिर जाता था ।
बहू – बेटे यह सब एक -दो दिन ये सहन करते रहे पर कुछ ही दिनों में उन्हें अपने पिता के इस काम से चिढ़ होने लग लगी।
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और हम इस तरह चीजो का नुकसान होते हुए भी नही देख सकते है”। अगले दिन जब रात को खाना खाने का समय हुआ तो लड़के ने एक पुरानी सि मेज को कमरे के कोने में रख दिया ।
अब बूढ़े पिता को वही बैठ कर भोजन करना था । यहाँ तक कि उन्हें अपने खाने के बर्तनों की जगह लकड़ी का कटोरा भी दे दिया गया । ताकि अब और कोई बर्तन टूट – फुट न सके ।
बाकी लोग पहले की तरह ही आराम से बैठ कर खाते और जब कभी – कभार उस बुजुर्ग को देखते तो उनकी आँखों मे आँसू ही दिखाई देते ।
यह देखकर भी बहू- बेटे का मन नही पिघलता , वो उनकी छोटी से छोटी गलती पर उन्हें ढेरो बाते सुना देते ।
वहाँ बैठा बालक भी यह सब बड़े ध्यान से देखता रहता था , और अपने आप में ही मस्त रहता था ।
एक रात खाने से पहले उन माता पिता ने उस बालक को ज़मीन पर बैठ कर कुछ करते हुये देखा, ” तुम यह क्या बना रहे हों ? ” , पिता ने पूछा।
उस छोटे से बच्चे ने मासूमियत भरी आवाज के साथ उत्तर दिया की , अरे में तो आप लोगो के लिए एक अच्छा सा लकड़ी का कटोरा बना रहा हूँ ।
ताकि जब में बड़ा हो जाऊं तो आप लोग इसमे अच्छे से खाना खा सके , ओर वह पुनः अपने काम मे रत हो गया।
पर इस बात का उसके माता – पिता पर गहरा असर हुआ , उनके मुँह से एक भी शब्द नही निकला और आँखों से आँसू बहने लगे ।
उन दोनों को बिना बोले ही समझ में आ चूका था कि अब उन्हें क्या करना है । उस रात उन्होंने अपने बूढ़े माता – पिता को पुनः उस डिनर टेबल पर खाने के लिए ले आये ।
और फिर कभी उनके साथ अभद्र व्यवहार नहीं किया ।
कहानी से सिख:- इसलिए हमें कभी भी अपने घर में माता – पिता के साथ और ऐसे भी अभद्र एवं अनुचित व्यव्हार नहीं करना चाहिए यही सब देख कर छोटे बच्चे भी सीखते है , और दुर्व्यवहार करते है ।
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