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चाणक्य के अनुसार चार गुण- Chanakya Niti In Hindi
आचार्य चाणक्य को कौन नही जानता है उनकी कही हुई बाते आज सिद्ध हो रही है वे अपने जीवनकाल में जो बातें कह गए है ,वे आज प्रत्येक अपनी स्थिति के अनुसार देखने को मिलती ही।
आचार्य चाणक्य ने मानव सभ्यता को सत्य के मार्ग पर ले जाने और सफलता हासिल करने के लिए कई अपना ज्ञान लोगो के बीच रखा और बताया की मनुष्य में किस प्रकार के गुण होना चाहिये आचार्य चाणक्य ने मनुष्य में 4 गुण प्राकतिक रूप से विद्यमान बतायें है।
जो मनुष्य को सीखा नही सकते । वे उसके अंदर ही जन्म से विद्यमान रहते है।
दान (Charity)
दान, यह मनुष्य का एक ऐसा गुण है, जिसे इंसान को स्वयं ही अपने अन्दर जाग्रत करता होता है क्योकि दान करना सिखाया नही जा सकता है। यह मनुष्य का भीतरी गुण होता है।
यदि मनुष्य में यह गुण नही हैं। तो उसके पास तीनों लोक जितनी सम्पती होने के बाद भी वह किसी को दे नही सकता (दान नही कर सकता) मनुष्य को स्वयं की ही प्रेरणा से यह गुण अपने अन्दर उत्पन्न करना होता है, जिसे कोई और नही कर सकता है।
धैर्य (Patience)
मनुष्य में धैर्य का गुण उसकी इच्छा इच्छाशक्ति के अनुसार होता है। यदि मनुष्य की इच्छा शक्ति प्रबल है तो वह किसी भी कार्य ,वस्तु ,या विषय के लिए धैर्य कर सकता है। और उसका उचित लाभ ले सकता है ।
अगर उसकी इच्छाशक्ति कमजोर है तो वह किसी वस्तु ,विषय को पाने में धैर्य नही रखेगा, उसका धैर्य का बांध टूट जाएगा एवं यही बाँध उसको डुबा देगा, यही उसके पतन का कारण बन सकता है।
इसलिए किसी भी कार्य मे जल्दबाजी नही करनी चाहिए, क्योंकि सब्र का फल बहुत मीठा होता है।
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4. मधुर वाणी (Soft Voice)
प्रत्येक मनुष्य अपने बचपन से ही बोलना सीखता है और जब वह बोलने लग जाता है तब उसको यह नही सीखा सकते कि कैसे बोलना ही। मनुष्य की अपने वातावरण और बचपन की परवरिश के अनुसार ही भाषा एवं वाणी होती।
मीठी वाणी का गुण सब मे होता है , लेकिन सभी मनुष्य इसे अपने जीवन मे नही उतार सकते है। वह जाने अनजाने ही किसी को बुरा भला कह सकता है ।
इसलिये कहा जाता है की –
शब्द सम्भारे बोलिये ,शब्द के हाथ न पाँव ।
एक शब्द औषधि करे ,एक शब्द करे घाव ।।
मनुष्य को किसी से बात करते समय शब्दों को सोच समझकर बोलना चाहिये
क्योंकि अगर जाने-अनजाने अगर किसी को कोई गलत शब्द बोल दिया जाता है तो वह वापस नहीं लौटकर नहीं आता है,
इसलिये कभी भी किसी से बात करो तो उसे कुछ भी बोलने से पहले अच्छी तरह से सोच समझ लेना चाहिये नहीं तो बाद में पछताना पड़ता है।
यदि मनुष्य चाणक्य द्वारा बताए गए इन गुणों को अपने जीवन मे उतारे एवं उसका उचित प्रयोग करें तो वह जीवन में कभी भी दुखी नहीं होता एवं, उसे प्रत्येक जगह पर सफलता ही प्राप्त होती।
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Nice post