शब्द के बारे में तो सभी जानते है की हम जो बोलते है वह शब्द ही कहलाते है लेकिन अगर हम व्याकरण की दृष्टि से देखे तो शब्द की भी परिभाषा होती है, शब्द को भी परिभाषित किया गया है|
आप जानते है की हिन्दी व्याकरण के अनुसार शब्द किसे कहते है शब्द के कितने भेद होते है? (Shabd Ke Kitne Bhed Hote Hain) शब्द को जानने से पहले हमें वर्णों को जानना होता है|
हिन्दी व्याकरण को समझने के लिये शब्दों को समझना बहुत जरुरी है इसलिये अगर आप शब्द की परिभाषा और शब्द के भेद या प्रकारों के बारे में जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को जरुर पढ़े| शब्द के बारे में ऐसा आर्टिकल आपको कहीं नहीं मिलेगा|
वर्ण किसे कहते है (Varn Kise Kahate Hain)
मनुष्य के मुंह से निकलने वाली सार्थक ध्वनी (जिसका कोई अर्थ हो) ऐसी ध्वनी को एक भाषा में परिभाषित किया जाता है| उसके बाद इस ध्वनी को लिखित रूप में बताने के लिये सभी ध्वनी का एक चिन्ह होता है|
इस चिन्ह को वर्ण कहा जाता है| मतलब की वर्ण किसी भी भाषा की सबसे पहली इकाई है इसको अधिक भागों में नहीं तोड़ा जा सकता है यह अकेला ही होता है वर्णों के द्वारा ही भाषा को लिखित रूप से परिभाषित किया जाता है|
जैसे हम हिंदी भाषा की बात करे तो च, ट, त, प, र आदि सभी वर्ण ही है इसके आलावा भी बहुत सारे वर्ण हिन्दी भाषा में है| हिन्दी में कुल 52 वर्ण बताये गये इसके विषय में अलग से डिटेल में चर्चा की गयी है|

शब्द किसे कहते है – Shabd Kise Kahate Hain
एक या एक से अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि ही शब्द कहलाती है। जैसे- एक वर्ण से निर्मित शब्द- न (नहीं) व (और) अनेक वर्णों से निर्मित शब्द- गमला, भारत, फूल, जंगल, भगवान, मोहन, पानी, बादल आदि|
भारतीय संस्कृति में शब्द को ब्रह्म कहा गया है। सार्थक शब्दों को मिलाकर एक वाक्य बनता है|
परिभाषा की दृष्टि से शब्द अलग-अलग प्रकार के होते है जिन्हें शब्दों के भेद कहा जाता है| शब्द के भेद के अनुसार ही शब्द के बारे में ज्ञान होता है इसलिये shabd ke kitne bhed hote hain यह भी जानना आवश्यक है|
शब्द के भेद – Shabd Ke Kitne Bhed Hote Hain
परिभाषा के अनुसार तो शब्द अलग अलग प्रकार के होते है लेकिन शब्दों की परिभाषा शब्द के अर्थ, शब्द की रचना, शब्दों के इतिहास, विभिन्न भाषा में शब्दों के प्रयोग और शब्दों के व्याकरण में प्रयोग आदि के आधार पर शब्द की परिभाषा भी अलग-अलग होती है सभी भाषा में शब्दों के परिभाषा अलग होती है|
इसलिये अलग-अलग भाषा के आधार पर यह कहना तो कठिन होता है की शब्द के कितने भेद है इसलिये यहाँ हम हिन्दी भाषा की बात कर रहे है तो हिन्दी भाषा के अनुसार ही शब्दों के भेद और परिभाषा बता रहे है|
तो चलिये बात करते है शब्दों के विभिन्न भेदों के बारे में-
वैसे तो हमने शब्द के सभी भेदों के बारे में स्पष्ट जानकारी दी है जो आप अभी पड़ेंगे| शब्द के भेदों को निम्नलिखित प्रकार से विभाजित किया गया है|
- प्रकार के आधार पर शब्दों के भेद
- अर्थ के आधार पर शब्द के भेद
- व्युत्पत्ति एवं रचना के आधार पर शब्द के भेद
- उत्पत्ति के आधार पर शब्द के भेद
- प्रयोग के आधार पर शब्द के भेद
प्रकार के आधार पर शब्दों के भेद
प्रकार के आधार पर शब्द के कितने भेद होते है, प्रकार के आधार से अभिप्राय है की जितने भी शब्द होते उनके प्रकार होते है इसी के आधार पर शब्द के अन्य भेद होते है|
प्रकार के आधार पर शब्द के 2 भेद होते है|
- सार्थक शब्द
- निरर्थक शब्द
सार्थक शब्द:-
ऐसे शब्द जिनका कोई निश्चित अर्थ हो उन्हें सार्थक शब्द कहा जाता है, मतलब सार्थक शब्द वे शब्द होते है जिनका कोई मतलब होता है| जिससे किसी विषय, वस्तु आदि के बारे में पता चलता हो|
सार्थक शब्दों के भी अन्य भेद होते जिन्हें आप यहाँ से डिटेल में पढ़ सकते है|
निरर्थक शब्द:
वे शब्द जिनके वाक्यों में प्रयोग से वाक्य का अर्थ तो समझ में आ जाता है लेकिन उन शब्दों का वास्तविकता में कोई अर्थ नहीं होता ऐसे शब्दों को सार्थक शब्द कहा जाता है|निरर्थक शब्द वे शब्द होते हैं जो किसी अर्थ का बोध नहीं कराते हैं।
साधारण भाषा में जिस शब्द का कोई अर्थ न हो उसे निर्थक शब्द कहा जाता है इन शब्दों का प्रयोग सार्थक शब्दों के साथ किया जाता है|
जैसे:- जैसे-तैसे, मीठा-विठा, पानी-वानी, घर-वर यहाँ, तैसे, विठा, वानी, वर, आदि निरर्थक शब्द है हाँ अकेल उपयोग करने से इनका अर्थ हो सकता है लेकिन सार्थक शब्दों के साथ बोलचाल के भाषा में उपयोग करने पर इनका कोई अर्थ नहीं होता है
अर्थ के आधार पर शब्द के भेद
अर्थ के आधार पर शब्द के अलग-अलग भेद होते है जिनके अर्थ भी अलग होते है| अर्थ के आधार पर शब्द के मुख्यतः 6 भेद होते है|
- पर्यायवाची या समानार्थी
- विलोम या विपरातार्थक शब्द
- समरूप भिन्नार्थक या श्रुतिसम भिन्नार्थक
- अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
- अनेकार्थी शब्द
- एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द
पर्यायवाची या समानार्थी शब्द: (Samanarthi Shabd)
ऐसे शब्द जो अलग-अलग होते है, किन्तु उनका अर्थ एक ही होता है समानार्थी या पर्यायवाची शब्द कहलाते है, ये शब्द एक ही वस्तु के कई नाम के रूप में होते है|
- सूर्य – आदित्य, भास्कर,सूरज, रवि, भानू आदि
- पर्वत – गिरि, शैल, पहाड़, भूधर आदि
- पृथ्वी – धरती, वसुधा, भूमि, भू, धरा, आदि
- ईश्वर – जगदीश, भगवान, प्रभु, परमात्मा आदि|
विलोम या विपरातार्थक शब्द: (Vilom Shabd)
विपरीत अर्थ प्रकट करनेवाले शब्दों को विपरातार्थक शब्द (विलोम) शब्द कहते हैं| किसी शब्द का विलोम शब्द उस शब्द के अर्थ से उल्टा अर्थ वाला होता है।
इसे ऐसे भी कह सकते है पर्यायवाची शब्द के उलटे अर्थ वाले शब्द विलोम शब्द कहलाते है|
जैसे:-
सार्थक शब्द | विलोम शब्द |
अच्छा | बुरा |
कृतज्ञ | कृतघ्न |
मित्र | शत्रु |
राजा | रंक |
अमीर | गरीब |
लड़का | लड़की |
सुख़ | दुःख |
जय | पराजय |
लाभ | हानि |
जन्म | मृत्यु |
समरूप भिन्नार्थक या श्रुतिसम भिन्नार्थक: (Bhinnarthak Shabd)
ऐसे शब्द जो पढने या सुनने में सामान लगते है लेकिन उन शब्दों के अर्थ अलग-अलग होते है इन शब्दों को समरूप भिन्नार्थक या श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द कहा जाता है|
इनके व्याकरणीय रूप सामान होते है लेकिन इनका मतलब भिन्न है
जैसे:-
समरूप शब्द | भिन्न अर्थ | |
1. | मेल | एकता |
मैल | गंदगी | |
2. | अनल | आग |
अनिल | वायु | |
3. | बेल | लता |
बैल | पशु |
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द:
जब किसी शब्द का प्रयोग अनेक शब्द के स्थान पर या पुरे वाक्य के स्थान पर किया जाता है, तो इसे अनेक शब्दों के लिये एक शब्द का प्रयोग कहा जाता है|
इसमें एक बड़े शब्द समूह की जगह एक ही शब्द में बात को कही जा सकती है जिसका अर्थ वही होता है जो अनेक शब्द बोलकर कही जाती है|
जैसे:-
जिसका कोई अंत न हो – अनंत
जिसके माता – पिता न हो – अनाथ
जो मर नहीं सकता – अमर
जिसके आने की कोई तिथि न हो – अतिथि
जो खंडित नही होता – अखंड
अनेकार्थी शब्द: (Anekarthi Shabd)
वह शब्द जिसके एक से अधिक अर्थ होते है उसे अनेकार्थी शब्द कहते है, ऐसे अर्थ परिस्तिथि के अनुसार भिन्न-भिन्न अर्थ प्रकट करते है|
जैस:-
एक शब्द | अनेक अर्थ |
हार | पराजय, गले का हार |
कनक | गेहूँ, सोना, धतूरा आदि |
तप | धूप , गरमी, तपस्या |
कुल | घर, सब, वंश |
एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द:
ऐसे शब्द जिन्हें लिखने या बोलने से एक दुसरे के पर्यायवाची प्रतीत होते है लेकिन उनके अर्थ अलग होते है उन्हें एकार्थक प्रतीत होते वाले शब्द कहा जाता है|
जैसे:-
1. | पाप | धार्मिक नियमों को तोड़ना |
2. | अपराध | सरकारी क़ानून तोड़ना |
3. | द्वेष | किसी से शत्रुता का भाव |
4. | ईर्ष्या | दूसरों की उन्नति देखकर मन में होनेवाली जलन |
व्युत्पत्ति एवं रचना के आधार पर शब्द के कितने भेद होते है
व्युत्पत्ति के आधार पर शब्दों के 3 भेद होते है शब्दों की जैसी रचना होती है उसी के आधार पर उसके भेद होते है| रचना के आधार पर शब्द के भेद निम्नलिखित है|
- रूढ़ शब्द
- यौगिक शब्द
- योगरूढ़ शब्द
रूढ़ शब्द – Rudh Shabd Kise kahte hain
ऐसे शब्द जो स्वयं पूर्ण हो एवं किसी अन्य शब्द से मिलकर न बने हो ऐसे शब्दों को रूढ़ शब्द कहा जाता है ये मूल शब्द (Mool Shabd) भी कहलाते है|
रूढ़ शब्द किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते है और इनके खंड या टुकड़े नहीं किये जा सकते है|
जैसे: दिन, रात, अग्नि, शेर, आग, कुत्ता आदि|
यौगिक शब्द – Yogik Shabd kise kahte hain
ऐसे शब्द जो दो या दो से अधिक सार्थक शब्दों की मिलाकर बनते है उन्हें यौगिक शब्द कहते है योग का मतलब ही जोड़ होता है इसलिये यौगिक शब्द में एक से अधिक शब्द जुड़े होते है|
नोट: यौगिक शब्दों को तोड़ने पर जो शब्द बनते है उनके कोई सार्थक अर्थ होते है|
जैसे:-
मेघालय = मेघ+आलय (मेघ = बादल, आलय = घर)
राजपुरुष = राज+पुरुष (राज = राजा, पुरुष = नर,आदमी)
समरूप = सम+रूप (सम = सामान, रूप = प्रकार)
पाठशाला = पाठ+शाला (पाठ = अध्याय, शाला = स्कूल)
योगरूढ़ शब्द – Yogrudh shabd kise kahate hain
ऐसे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बनते है किन्तु इनका अर्थ सामान्य न होकर किसी व्यक्ति विशेष के लिये होता है उन्हें योगरूढ़ शब्द कहा जाता है|
ये शब्द भी यौगिक शब्द ही होते है किन्तु इनको तोड़ने पर इनके अर्थ जैसे के तैसे नहीं होते है|
जैसे:
लम्बोदर = लम्बा+उदर (लम्बे/बढे पेट वाले गणेश जी)
दशानन = दस+आनन (दस सिर वाला रावण)
पंकज = पंक+ज (कीचड़ में उत्पन्न होने वाला फूल)
उत्पत्ति के आधार पर शब्द के कितने भेद होते है
उत्पत्ति के आधार पर शब्द के 4 भेद होते है इसका मतलब है की किसी शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई है और कहाँ से हुई है इसमें देशी और विदेशी भाषओं केशब्दों की भी उत्पत्ति होती है|
उत्पत्ति के आधार शब्दों के भेद निम्नलिखित है-
- तत्सम शब्द
- तद्भव शब्द
- देशज शब्द
- विदेशज शब्द
तत्सम शब्द – Tatsam Shabd Kise Kahate Hain
ऐसे शब्द जो संस्कृत भाषा से जैसे के तैसे हिन्दी भाषा में लिये गये है या उपयोग किये जाते है उन्हें तत्सम शब्द कहते है| तत्सम शब्दों को हिन्दी भाषा में प्रयोग करने पर उनमे कोई परिवर्तन नहीं किया जाता है|
इन्हें हम संस्कृत के शब्द भी कह सकते है| मतलब हिन्दी भाषा में जो संस्कृत भाषा के शब्द ही वे ही तत्सम शब्द है और जिनमे कोई परिवर्तन नहीं है|
जैसे:-
जैसे-अग्नि, क्षेत्र, वायु,पृथ्वी, रात्रि, सूर्य आदि।
तद्भव शब्द – Tadbhav Shabd Kise Kahte Hain
ऐसे शब्द जो संस्कृत भाषा से हिन्दी भाषा में लिये गये है, किन्तु उनका रूप बदल गया है वे शब्द तत्भव शब्द कहलाते है|
तत्भव का शाब्दिक अर्थ होता है- “उससे उत्पन्न” यह एक संस्कृत शब्द है| तत्सम शब्दों का बदला हुआ रूप तत्भव शब्द कहलाता है|
मतलब संस्कृत भाषा के वे शब्द जिनको हिन्दी भाषा में प्रयोग करने पर शब्द में परिवर्तन हो जाता है किन्तु उसका अर्थ वही होता है तत्भव शब्द कहलाते है|
जैसे:-
संस्कृत के शब्द (जैसे के तैसे) | हिन्दी में रूप बदले हुए शब्द (तत्भव) |
अग्नि | आग |
क्षेत्र | खेत |
रात्रि | रात |
सूर्य | सूरज |
नृप | राजा |
हस्त | हाथ |
कर्ण | कान |
गर्दभ | गधा |
अक्षि | आँख |
देशज शब्द – Deshaj Shabd Kise Kahate Hain
जो शब्द क्षेत्र और स्थानीय भाषाओँ से हिन्दी भाषा में परिस्थिति और आवश्यकतानुसार प्रचलित हो गये है, उन्हें देशज शब्द कहते है|
साधारण भाषा में देशज शब्द वे शब्द होते है जिनकी उत्पत्ति देश में ही हुई है और जो पारंपरिक स्थानीय भाषा से हिन्दी के शब्द कोष में जोड़े गये है, वे शब्द देशज शब्द कहलाते है|
जैसे:-
जैसे:– पगड़ी, गाड़ी, थैला, पेट, रोड़ा, बैंगन, सेब, खटखटाना, पगड़ी, मनई, मेहरारू, आदि।
विदेशज शब्द – Videshaj Shabd Kise Kahate Hain
वे शब्द जो विदेशी भाषाओँ से हिन्दी भाषा में आये है उन्हें विदेशज शब्द कहते है आजकल विदेशी लोगो के साथ संपर्क में आने पर विदेशी शब्दों का बहुत अधिक प्रयोग होने लगा है|
भारत में स्थानीय भाषओं को छोड़कर जितनी भी भाषा है सभी विदेशी भाषा है और इनसे जो शब्द हिन्दी में प्रयोग किये जाते है वे विदेशज शब्द कहलाते है|
जैसे: –
अंग्रेजी | फारसी | अरबी | तुर्की | पुर्तगाली |
कॉलेज | अनार | औलाद | बहादुर | कमीज |
पैंसिल | जमींदार | अमीर | दारोगा | कमीज |
रेडियो | नमक | कलम | लाश | कमीज |
टेलीविजन | आदमी | कानून | बारूद | बाल्टी |
मशीन | चश्मा | औरत | तोप | अचार |
सिगरेट | गंदगी | मालिक | चाकू | तंबाकू |
सिगरेट | चापलूसी | गरीब | कैंची | तिजोरी |
फोटो | दुकान | फकीर | चमचा | कारतूस |
सिगरेट | बीमार | खत | सुराग | कारतूस |
फ्रांसीसी | चीनी | यूनानी | जापानी | डच |
पुलिस | तूफान | टेलीफोन | रिक्शा | बम |
कर्फ्यू | पटाखा | टेलीग्राफ | ||
इंजीनियर | लीची | टेलीग्राफ | ||
बिगुल | लीची | डेल्टा |
प्रयोग के आधार पर शब्द के कितने भेद होते है
शब्दों को उनके व्याकरण में प्रयोग के आधार पर भी वर्गीकृत किया गया है जिससे व्याकरण की दृष्टि से शब्दों को समझना बहुत ही आसान हो जाता है|
इन्हें सार्थक शब्द भी कहा जाता है सार्थक शब्द क्या होते है इसे आप यहाँ से पढ़ सकते है|
प्रयोग के आधार पर शब्द के 2 भेद होते है|
- विकारी शब्द
- अविकारी शब्द
विकारी शब्द – Vikari Shabd Kise Kahate Hain
वे शब्द जिनका का काल व परिस्थिति और संख्या आदि के अनुसार रूप में परिवर्तन होता रहता है विकारी शब्द कहलाते है|
साधारण भाषा में जिनमे विकार उत्पन्न हो सकते है विकारी शब्द कहलाते है|
जैसे:-
मूल शब्द | विकारी रूप |
कुत्ता | कुत्ते, कुत्तों, |
मैं | मुझे, हमें |
अच्छा | अच्छे, अच्छी, अच्छो |
खाता है | खाती है, खाते है, खाये, खायेंगे |
विकारी शब्दों के भेद:-
विकारी शब्दों के 4 भेद होते है जो निम्नलिखित है-
- संज्ञा
- सर्वनाम
- विशेषण
- क्रिया
संज्ञा (Noun):-
किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान आदि के नाम को संज्ञा कहते कहते है जैसे:- राम, टेबल, मध्यप्रदेश, आदि| संज्ञा के विषय में सम्पूर्ण जानकारी पढने के लिये हमारी यह वाली पोस्ट को पढ़िये इसमें आपको संज्ञा के सभी भेदों से सम्बंधित पूरी जानकारी पढने को मिलेगी|
सर्वनाम (Pronoun):-
सर्वनाम वे शब्द होते है जो संज्ञा के स्थान पर उपयोग किये जाते है| जैसे:- यह, वह, इसको, उसको, आदि|
सर्वनाम के विषय में डिटेल में पढने के लिये यह पोस्ट पढ़े:-
विशेषण (Adjective):-
विशेषण भी संज्ञा और सर्वनाम की तरह विकारी शब्द ही है, हिन्दी व्याकरण में विशेषण उन शब्दों को कहा जाता है जो संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता का बोध करवाते है,
जैसे: राम बहादुर है| इसमें राम संज्ञा है और बहादुर उसकी विशेषता (विशेषण) है|
अधिक जानकारी के लिये यह पोस्ट पढ़े:
क्रिया (Verb):-
हम जो भी कार्य करते वह क्रिया कहलाता है या दुनिया में जो भी घटना होती है उस होने को क्रिया कहते है
जैसे:-
मैं लिखता हूँ| यहाँ लिखना एक क्रिया है
आप खाना खाते है| यहाँ खाना, खाने की क्रिया है|
इसी प्रकार उठाना, बैठना, जाना, आना, करना, होना, आदि सब क्रिया ही है|
विकारी शब्द – Vikari Shabd Kise Kahate Hain
ऐसे शब्द जो समय, काल या स्थिति और संख्या के अनुरूप नहीं बदलते है उनको अविकारी शब्द कहा जाता है| अविकारी का अर्थ “कोई परिवर्तन नहीं” होता है|
जिसे प्रयोग करने पर उसके रूप में परिवर्तन नहीं होता है|
अविकारी शब्दों के भेद:
अविकारी शब्दों के निम्नलिखित 4 भेद होते है
- क्रिया-विशेषण
- संबंधबोधक
- समुच्चयबोधक
- विस्मयादिबोधक
क्रिया-विशेषण (Adverb):-
जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते है उन्हें क्रिया-विशेषण कहा जाता है|
जैसे:- जल्दी-जल्दी, जोर से, आदि|
संबंधबोधक (Relative Word):-
संज्ञा और सर्वनाम का आपस में संबंध स्थापित करने वाले शब्द संबंधबोधक कहालाते है|
जैसे:- के अनुसार, की जगह, के साथ, आदि|
समुच्चयबोधक (Conjunctive):-
ये वे शब्द होते है जिनके प्रयोग से दो अलग अलग वाक्यों को एक वाक्य में या अलग वाक्य में जोड़ा जाता है|
जैसे:- लेकिन, बल्कि, यहाँ तक की, ताकि आदि|
विस्मयादिबोधक (interjection):-
ये शब्द अचानक से बोले जाते है इनको बोलते समय आश्चर्य, ख़ुशी, हर्ष, दुःख, श्राप, दया आदि भाव उत्पन्न होते है|
जैसे:- बाप रे बाप !, हे भगवान !, आह ! , हा !, हट ! , धिक् ! , धत !, जी हाँ ! , बहुत अच्छा! आदि|
इस आर्टिकल में आपने शब्द के विषय में जाना की शब्द कितने प्रकार के होते है Shabd Ke Kitne Bhed Hote Hain विकारी शब्द, विलोम शब्द, पर्यायवाची आदि शब्दों के विषय में हमने परिभाषा और उदाहरण बताये है
इसमें अधिकतर जानकारी हमने विकिपीडिया में शब्द के माध्यम से जुटाई है|
आशा है आपको जानकारी अच्छी लगी होगी|
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